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भारत की आयुर्वेदिक परंपरा में एक ऐसी जड़ी-बूटी है जिसे “अमृता” (अमरता का अमृत) कहा जाता है – जी हाँ, हम बात कर रहे हैं “गिलोय” की। यह चमत्कारी बेल सदियों से हमारे स्वास्थ्य का रक्षक रही है। आइए, इस ब्लॉग में गिलोय के अद्भुत गुणों(Benefits of Giloy), फायदों, और उपयोग के तरीकों को विस्तार से समझें।
गिलोय (Tinospora Cordifolia), जिसे गुडूची या अमृता भी कहा जाता है, एक लता है जो पूरे भारत में पाई जाती है। इसके पत्ते दिल के आकार के होते हैं और तना मोटा होता है। आयुर्वेद में गिलोय को त्रिदोषनाशक (तीनों दोषों – वात, पित्त, कफ को संतुलित करने वाला) माना गया है।
गिलोय में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं जो इसे स्वास्थ्य का खजाना बनाते हैं:
पोषक तत्व | मात्रा (प्रति 100 ग्राम) |
---|---|
अल्कलॉइड | टीनोस्पोरिन, टीनोस्पोरिसाइड, टीनोस्पोरॉन |
ग्लाइकोसाइड | गिलोइन, गिलोयिनिन |
स्टेरॉयड | β-साइटोस्टेरॉल, कोलेस्टेरॉल |
पॉलीसेकेराइड | स्टार्च, सेल्युलोज |
गिलोय वास्तव में प्रकृति का एक अनमोल उपहार है। इसके नियमित सेवन से आप अपनी सेहत को कई तरह से बेहतर बना सकते हैं। लेकिन याद रखें, किसी भी जड़ी-बूटी का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
अस्वीकरण: यह ब्लॉग केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है।
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